रिश्ते ही सब कुछ है
वास्तविक जीवन में, कानून शायद ही कभी किसी गलत कार्य को माफ करता है। अधिकांश देशों में सजा के बारे में कानून स्पष्ट है। हम अभी भी व्यक्तिगत संबंधों में माफ़ करने के के बारे में बहुत कुछ सुनते हैं। हमें प्रमुख भूलों को क्षमा करने के लिए कहा जाता है। हमें क्षमा करने और भूलने के लिए कहा जाता है जैसे कि कुछ भी नहीं हुआ। क्या ये बात सही है? कुछ हद तक हाँ, और कुछ हद तक नहीं।
हममें से ज्यादातर लोग जो रिश्ते में दुखी हुए हैं, वे क्षमा करना नहीं चाहते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि हम जीवन भर दर्द से पीड़ित रहते हैं। हमें क्षमा करने की सलाह दी जाती है ताकि कम से कम हम शांति महसूस कर सकें। यदि हम क्षमा नहीं करते हैं, तो हमारी अपनी शांति हमेशा के लिए खो जाती है और हम पीड़ित होते हैं।
क्षमा हमारे लिए है। माफ़ करने का मतलब हमेशा यह नहीं होता है कि दुराचारी एक ही व्यवहार जारी रखे। आपको उस व्यक्ति को बताने की जरूरत नहीं है कि आपने उसे माफ कर दिया है। उन्होंने जो किया, उसके लिए उन्हें कष्ट लेने दीजिए।अपने ही मन में क्षमा करने से आपको शांति मिलती है।
क्षमा करने के बाद संबंध
किसी भी गलती के बाद संबंध कभी भी पहले जैसे समान स्तर और तीव्रता पर जारी नहीं रह सकता। क्षमा की कोई राशि कभी भी संबंध को वापस नहीं ला सकती है।
रिश्ते को वापस जोड़ना
मैंने पहले भी कहा है कि कोई भी गलती होने के बाद सम्बन्ध उसी पुराने स्तर पर नहीं रहेगा। यह सच है। लेकिन क्या होगा अगर साथी इसे पुराने स्तर पर वापस लाना चाहते हैं? उन्हें कैसे आगे बढ़ना चाहिए? इस मामले में, दुराचारी को बार-बार क्षमा मांगनी चाहिए। पीड़ित के संतुष्ट होने के बाद ही, क्षमा उस हद तक प्रभावी हो सकती है जब संबंध सामान्य हो जाए।
मामला काफी कठिन है। कहते है न,"गांठ अगर पड जाये तो फिर रिश्ते हो या डोरी, लाख करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है !" तो हमे हो सके वहा तक, सम्बन्ध में किसी भी किसम की कड़वाहट न हो इसका ध्यान रखना चाहिए। यहाँ एक बात अच्छी तरह समझ ले की सामने वाले को भी ईश्वर ने बनाया है और, भगवान कूड़ा-कचरा कभी नहीं बनाता।
जीवन में रिश्ते ही सब कुछ है - यही तो है आर्ट ऑफ़ लाइफ !
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